विवादों के निराकरण की प्रक्रिया                                                               ( देखें धारा -8)
नियम 1:- कोई भी विवाद, व्यथित पक्षकार द्वारा लिखित आवेदन के रूप से संगठन के सचिव के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। आवेदन पत्र के साथ 50 /- (पचास रुपये) आवेदन शुल्क जमा करना होगा |
नियम 2:- यदि कोई शिकायत, सामाजिक व्यवस्था के अतिचार से संबंधित किसी तीसरे पक्ष द्वारा प्रस्तुत किया जाता है, तो इसमें किसी प्रकार का शुल्क देय नहीं होगा और शिकायत सचिव द्वारा पंजीबद्ध किया जावेगा |
नियम 3:- जब कभी कार्यकारिणी की बैठक की कार्यवाही चल रही हो और विचारण के दौरान कोई सामाजिक अतिचार संबंधी प्रकरण, उपस्थित सदस्यों अथवा अन्य किसी भी व्यक्ति के माध्यम से, प्रगट होता है, तो उस प्रकरण को शिकायत के रूप में तुरन्त पंजीबद्ध कर, निराकरण के लिए लिया जा सकेगा |
नियम 4:- आवेदन पत्र प्राप्त होने पर सचिव उसे पंजीबद्ध करेगा और अध्यक्ष के समक्ष प्रस्तुत करेगा। अध्यक्ष, आवेदन पत्र का अवलोकन कर अपने विवेकानुसार संबंधित पक्षकारों को नोटिस जारी करने एवं कार्यकारिणी समिति की बैठक के समक्ष उपस्थित होने का आदेश देगा |
नियम 5:- सचिव आवेदन पत्रों एवं शिकायत पत्रों की पावती संबंधित पक्षकार को देगा |
नियम 6 :- आवेदन पत्रों एवं शिकायत पत्रों के आवश्यक पक्षकारों को कारण बताओ सहित सूचना पत्र लिखित रूप से, सचिव द्वारा जारी किया जावेगा, जिसमें कार्यकारिणी समिति के बैठक की तिथि, स्थान एवं समय का उल्लेख होगा। सूचना पत्र में भी उल्लिखित होगा कि पक्षकार के अकारण अनुपस्थिति की स्थिति में उसके विरुद्ध एक पक्षीय कार्यवाही की जा सकेगी
नियम 7:- विवादों के निराकरण हेतु कार्यकारिणी समिति की बैठक पूर्व से निर्धारित तिथि, समय और स्थान में होगी |
संरक्षक सदस्य कार्यकारिणी के आजीवन सदस्य होंगे |
नियम 8:- प्रकरणों की सुनवाई उनके पंजीयन क्रम से आरंभ होगी सुनवाई के समय पक्षकार आवश्यक दस्तावेज एवं मौखिक साक्ष्य आदि प्रस्तुत कर सकेंगे, जो लिपिबद्ध किए जायेंगे |
नियम 9 :- समस्त पक्ष को सुनवाई का समुचित अवसर दिए जाने के पश्चात् कार्यकारिणी - समिति उसके समक्ष प्रस्तुत मौखिक एवं दस्तावेजी साक्ष्य के आधार पर बहुमत से विवाद का निपटारा करेगी और अपने निर्णय की घोषणा सार्वजनिक रूप से करेगी |
नियम 10 :- प्रत्येक विवाद से संबंधित कागजात की पृथक नस्ती तैयार की जावेगी और उनमें आदेश पत्रक होगा, जिसमें संक्षिप्त निर्णय उल्लेख होगा, एवं पक्षकारों के हस्ताक्षर या अंगूठे अंकित किये जा सकेंगे |
नियम 11 :- कार्यकारिणी समिति द्वारा निपटाए गए प्रकरणों से संबंधित समस्त कागजात, संगठन के निजी दस्तावेज होंगे और उनके कार्यालय में सुरक्षित रहेंगे। |
नियम 12 :- किसी विशेष प्रकरण की गंभीरता को मद्देनजर रखते हुए कार्यकारिणी. समिति की आपात बैठक, निर्धारित समय के पूर्व भी बुलाई जा सकेगी। किन्तु कोई विशेष पक्षकार, अपने प्रकरण के निराकरण में शीघ्रता चाहता है व बैठक के व्यय के रूप में 5100 /- (इंक्रायवन सौ रूपये) जमा करेगा रकम जमा हो जाने के पश्चात् सचिव, अध्यक्ष की अनुमति से कार्यकारिणी समिति की बैठक बुलाएगा और संबंधित पक्षकारों को विधिवत् सूचना जारी करेगा |
नियम 13 :- कार्यकारिणी समिति के निर्णय से व्यथित पक्षकार, स्थायी समिति के समक्ष, निर्णय तिथि से 2 माह के भीतर, पुनरीक्षण आवेदन पत्र दे सकेगा। पुनरीक्षण आवेदन शुल्क रु. 551/- (पांच सौ इंक्यावन) होगा, जो आवेदन पत्र
के साथ जमा करना होगा । आवेदन पत्र, सचिव के माध्यम से ही प्रस्तुत होगा। कार्यकारिणी समिति के द्वारा आरोपित अर्थदण्ड का भुगतान करने के पश्चात् ही पुनरीक्षण आवेदन पत्र ग्राह्य होगा
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नियम 14 :- पुनरीक्षण आवेदन पत्र सशुल्क प्राप्त होने के पश्चात् सचिव उसे पंजीबद्ध कर, स्थायी समिति के समक्ष प्रस्तुत करेगा एवं सचिव, स्थायी समिति के बैठक की सूचना, विधिवत् संबंधित पक्षकारों एवं सदस्यों को देगा। स्थायी समिति की बैठक आवश्यकतानुसार कभी भी बुलाई जा सकेगी |
नियम 15 :- पुनरीक्षण आवेदन पत्र प्राप्त होने पर स्थायी समिति प्रकरण का अवलोकन तथा उभय पक्ष का सुनवायी कर कार्यकारिणी को आवश्यक कार्यवाही एवं अंतिम निर्णय हेतु अनुशंसा करना। जो सर्वमान्य होगा |
नियम 16 :- महासभा एवं समिति की सम्पूर्ण कार्यवाही के दौरान, समस्त सदस्य अनुशासन कायम रखेंगे। अनुशासन हीनता की स्थिति में, अध्यक्ष को समुचित कार्यवाही करने का पूर्ण अधिकार होगा |
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